आजादी और जिम्मेदारी


खुद्दारी मेरी झुकने देती
नहीं किसी के आगे
दे सकता हूं अपनी जान
मगर अपमान जरा भी
नहीं सहन कर सकता
मुझको फ़ख्र है कि मैं
भगत सिंह का वंशज हूं।

आती है लेकिन बारी जब
खुद अपने से ही लड़ने की
मन में बैठे हैं दुश्मन जो
उन काम, क्रोध, मद लोभ सभी से
अपरिग्रह, अस्तेय सरीखे
हथियारों से लड़ता हूं
पाता हूं तब गांधीजी मेरे पूर्वज हैं।

पुरखों ने होम दिया अपना जीवन सारा
जिस आजादी को पाने को
तन-मन से उसकी रक्षा करने की खातिर
मैं अपने ऊपर कड़ा नियंत्रण रखता हूं
बनना गुलाम मंजूर नहीं
पर कोई हो मेरा गुलाम
यह भी मैं हर्गिज सहन नहीं कर सकता हूं 
स्वच्छंद न होने पाये मेरी स्वतंत्रता
मैं आजादी का जश्न मनाते हुए ध्यान यह रखता हूं।
रचनाकाल 15 अगस्त 2023

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