खजाने की खोज
परसों मैंने खबर पढ़ी
खरबों का छिपा खजाना है
छोटे से पुच्छल तारे में
ला सकें अगर धरती पर तो
हर व्यक्ति अरबपति बन जायेगा!
तब से मन में यही समाई थी धुन
कैसे ला सकते हैं धरती पर
उस आकाशीय खजाने को।
कल रात मगर सपना देखा
ईश्वर उदास कह रहे
कि लाखों युग पहले
जब जनम दिया था मैंने तुम इंसानों को
मन में थी यह उम्मीद
कि करके अपना चरम विकास
सभी अनमोल रत्न बन जाओगे
धरती मां ने जो दूध पिला तुमको पाला
हर माता को होती है यह उम्मीद
कि बेटा होकर बड़ा कमायेगा
धरती मां ने भी सोचा था
जब बन जायेंगे रत्न सभी उसके बेटे
अनमोल खजाने से तब वह भर जायेगी
पर तुम तो जितना बनते जाते बुद्धिमान
उतना ही खून चूसते हो धरती मां का!
कोयला करोड़ों वर्षों का सह दाब
बन गया हीरा, पर
तुमसे जो पाल रखी मैंने
उम्मीद करोड़ों वर्षों से
परजीवी बन रह गये
कि सबसे बुद्धिमान मेरे बेटे का
यही हश्र क्या होना था!
सुनकर उलाहना ईश्वर की
मैं शर्मिंदा हूं मन ही मन
बाहरी खजाने की चिंता को छोड़
खोज पर निकल पड़ा हूं
भीतर छिपे खजाने की
बन सकूं ताकि अनमोल रत्न
ख्वाहिश पूरी हो ईश्वर की
हो सके दूध का कर्ज अदा धरती मां का।
रचनाकाल : 1 अगस्त 2023
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