अनुशासन


पहले मैं अक्सर होता था हैरान
कि घण्टों समय बिताते पूजा में जो लोग
पता जब उन्हें चलेगा ईश्वर उनका
कहीं नहीं है विद्यमान
टूटेगा जब भ्रम उनका, उस सदमे से
क्या कभी उबर वे पायेंगे?
क्यों नहीं लोग कर पाते उसका सदुपयोग
जो समय भजन-पूजन में जाया होता है!
हैरानी मेरी ज्यादा पर बढ़ गई
देख कर यह कि बताया जब लोगों को
नहीं देहधारी है कोई भी ईश्वर
सब अनुशासित खुद ही होकर सब काम करें
पर होते ही डर दूर किसी ईश्वर का
सब स्वच्छंद हो गये, मची अराजकता ऐसी
अनुशासन दकियानूसी का पर्याय बन गया
डर कर मुझको कहना पड़ा कि ईश्वर फिर से लौट आया
देगा वह उनको दण्ड करेंगे जो भी अपनी मनमानी।

अब सोच रहा हूं कैसे समझाऊं सबको
अनुशासन ही ईश्वर है, जो भी तोड़ेगा प्राकृतिक नियम
वह भोगेगा अनिवार्य रूप से दण्ड
बिना भय के आखिर क्यों नहीं
स्वयं को स्वेच्छा से हम कर पाते हैं अनुशासित?
रचनाकाल : 24 जुलाई 2023

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