सपने

कल अनायास अहसास हुआ
हो चुकी देर बेहद शायद
सपने जो अब तक स्थगित रहे
यह सोच, समय जब आयेगा अनुकूल
उन्हें कर लूंगा पूरा
निकल गया लम्बा अरसा
जीवन के झंझावातों में।
अब आया जब अनुकूल समय
पोटली खोल कर देख रहा हूं सपनों की
कर सकूं ताकि पूरा उनको
पर सदमा लगा देखकर यह
सपने तो सब जीवाश्म बन चुके पथरा कर!
झटका यह इतना भारी है
लग रहा कि जिसको पाने खातिर
गुजर गया आधा जीवन
वह मृग मरीचिका जैसा था!
नहीं, नहीं! सब खत्म हुआ है नहीं अभी
कीमत तो बड़ी चुकाई है, पर समझ गया
अनुकूल समय जैसा कुछ होता नहीं
शुरू करना है फिर से, एक नया संघर्ष
मर चुके सपने जीवित करने का
कर पाने पर ही पूर्ण उन्हें
जिंदगी सफल हो पायेगी ।
रचनाकाल : 11 अप्रैल 2023

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