सपने


सपने ऊंचे देखा करता
योजना बनाता था पहले मैं बड़ी-बड़ी
पूरे होते थे नहीं मगर
खुद पर झुंझलाया करता था।
अब सिर्फ लक्ष्य तय करता पूरे दिन का
खुद को रख पाऊं अनुशासित
होने पाऊं नहीं निरंकुश
कोशिश दिन भर बस यह करता हूं।
बढ़ता जाता हूं एक-एक पग आगे
सपने होते हैैं साकार
बिना देखे ही अब तो बड़े-बड़े।
रचनाकाल : 12 नवंबर 2022

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