पाखण्ड


आसान नहीं था लड़ना, रावण मेरे भीतर बैठा था
बाहर ही इतने बना रखे थे दुश्मन,
खुद से लड़ने खातिर समय न था
इसलिये मुखौटा लगा लिया, बन गया राम
पुतला रावण का जला दिया
अपने भीतर का रावण मैंने सही-सलामत बचा लिया
अब राम रूप धारण कर रावण की संस्कृति पर चलता हूं
पूजता राम को और निशाचर जैसा जीवन जीता हूं।
रचनाकाल : 5 अक्तूबर 2022

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