अनासक्ति

आसक्ति नहीं मैं जीतूं ही
पर बिना लड़े हथियार डालना
होता ही मंजूर नहीं
इसलिये बिना परिणामों की चिंता के ही
घनघोर लड़ाई लड़ता हूं
अक्सर विजयी भी होता हूं।
पर कभी-कभी घनघोर परिश्रम करके भी
असफलता ही जब मिलती है
तब अनासक्ति ही मेरी रक्षा करती है
होता हूं कभी निराश नहीं
बस धर्म मानकर कर्म किये जाता अपना
संतुष्टि उसी में मिलती है
आगे-पीछे फल भी उसका मिल जाता है।
दरअसल भागता था जब मैं फल के पीछे
वह मेरे आगे-आगे भागा करता था
अब रखता हूं कोई आसक्ति नहीं जब तो
फल मेरे पीछे-पीछे भागा करता है।
 रचनाकाल : 20 सितंबर 2022

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