साधन और साध्य


आसन्न भले ही हार दिखे
मैं नहीं मानता हार मगर अंतिम क्षण तक
गीता ने मुझे सिखाई है निष्काम कर्म की परिभाषा
मैं साध्य नहीं, साधन का रखता ध्यान
न होने पाये वह अपवित्र
भले ही मंजिल तय करने में लम्बा सफर लगे।
सच कहूं अगर तो यात्रा में, मिलता इतना आनंद
लक्ष्य पाने की रहती नहीं कोई हड़बड़ी
मुझे यह पता चल चुका है रहस्य
चाहूं मैं या कि न चाहूं, फल कर्मों का पर
हर हाल में मिल कर रहता है।
इसलिये सदा साधन की शुचिता का रखता हूं ध्यान
कि मिलने वाला है जो फल उस पर लग जाये कहीं न दाग
मुझे तो लोकतंत्र में साफ दीखता फर्क पाक और भारत के।
रचनाकाल : 7 सितंबर 2022

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