आजादी

खुशनसीब थे पूर्वज
जिनके आगे था सुस्पष्ट लक्ष्य
आजादी हासिल करने का
मैं अक्सर जाता भूल
सभी सुख-सुविधाओं के आगे
आखिर मकसद क्या है जीवन का?
डरता हूं लक्ष्यविहीन जिंदगी
कहीं न बन जाये शोषण का कारण
मुझसे पाने खातिर आजादी
करना न पड़े संग्राम किसी को
अक्स न आ जाये मेरे भीतर भी अंग्रेजों का!
रचनाकाल : 14 अगस्त 2022

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