सृजन की शुरुआत
क्या हुआ जो नहीं शक्ति पहले सी है
हौसला तो वही है मगर दोस्तो
हो गये हों भले थोड़ा कमजोर पर
आग में तप के निखरे हैैं हम दोस्तो।
जिंदगी सबको मिलती नहीं इस तरह
आती सदियों में है ये महाआपदा
ऐतिहासिक समय के इस साक्षी हैैं हम
जश्न इसका मना लें न क्यों दोस्तो!
जिसको मिलता है सबकुछ बनाया हुआ
सुख सृजन का कहां जान पाता है वह
खण्डहर से बनाने का सुंदर महल
भव्य मौका मिला है हमें दोस्तो।
बीते वर्षों में दो जो हुआ है विध्वंस
उसको फिर से बनाने को सुंदर-सुगढ़
इस नये साल के पहले दिन से भला
और सुहाना क्या होगा समय दोस्तो!
रचनाकाल 1 जनवरी 2022
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