आदत बने न जीवन
गाफिल होते ही थोड़ा सा
आदत बन जाता है जीवन
यंत्रवत सभी कुछ चलने लगता
लगता जैसे बीत रहे हों
सपने में दिन-रात, महीने, साल!
डरता हूं बेहोशी में ही
बीत न जाये जीवन
मौका मिलता है जब इसीलिये
करने की खातिर नई कोई शुरुआत
लपक लेता हूं उसको तुरत
तोड़ता हूं दैनंदिन चक्र
मचे कुछ जीवन में हलचल
कि आदत बनकर ही रह जाय न जीवन
अंत समय में लगे न ऐसा
बीत गया सोते-सोते ही
सारा जीवनकाल!
रचनाकाल 28 दिसंबर 2021
आदत बन जाता है जीवन
यंत्रवत सभी कुछ चलने लगता
लगता जैसे बीत रहे हों
सपने में दिन-रात, महीने, साल!
डरता हूं बेहोशी में ही
बीत न जाये जीवन
मौका मिलता है जब इसीलिये
करने की खातिर नई कोई शुरुआत
लपक लेता हूं उसको तुरत
तोड़ता हूं दैनंदिन चक्र
मचे कुछ जीवन में हलचल
कि आदत बनकर ही रह जाय न जीवन
अंत समय में लगे न ऐसा
बीत गया सोते-सोते ही
सारा जीवनकाल!
रचनाकाल 28 दिसंबर 2021
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