सफर
जब बुरी तरह थक जाता हूं तब अक्सर सोचा करता हूं
रुक कर सुस्ता लूं कुछ पल, ऊर्जा संचित कर लूं
टूट न जाये ताकि मार्ग में ही दम, सफर अधूरा ही ना रह जाये।
रुकते ही लेकिन ठहरे पानी जैसा सड़ने लगता जीवन
छोटे-मोटे दोष कई घर करने लगते हैैं तन में
इसलिये चाल धीमी कर देता, जब ज्यादा थक जाता हूं
कोशिश करता हूं थमें न पूरी तरह कदम
रुक जाना मुझको मृत्यु सरीखा लगता है।
रचनाकाल 27 दिसंबर 2021
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