कर्जमुक्ति
पंद्रह अगस्त का पर्व दिलाता है मुझको अहसास
कि मैं जो खुली हवा में आज ले रहा सांस
हमारे पुरखों ने इसकी खातिर अपने जीवन का मोल चुकाया है।
मैं कर्जदार पाता हूं खुद को उनका, मुझको मिले खुला आकाश
सभी अच्छाई मेरे भीतर की फल-फूल सके, इसकी खातिर
जो नहीं झुके जुल्मी शासन के आगे, फांसी के फंदे पर झूल गये।
अपराध मुझे लगता है जीना बस अपनी ही खातिर
देती है मुझको आजादी जिम्मेदारी का अहसास
कि मुझको गढ़ने में जाने कितनी पीढ़ियों का रहा हाथ
सभी से कट कर मेरा अलग-थलग है कोई भी अस्तित्व नहीं।
मानवता की जो अंतहीन श्रृंखला चली आई है उसका हिस्सा बन
अपने हिस्से का सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं
स्वेच्छा से अनुशासित होकर, मानवता को समृद्ध बना
अगली पीढ़ी को देकर के बेहतर भविष्य
मैं कर्ज अदा पिछली पीढ़ी का करता हूं।
रचनाकाल : 15 अगस्त 2021
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