दूसरी आजादी
घनघोर लड़ाई लड़ता हूं मैं खुद से
खुद को दिला सकूं आजादी सारे ताकि दुर्गुणों से।
अंग्रेजों से जो लड़े हमारे पूर्वज, वह था प्रथम चरण
अपना कर्तव्य निभाया पूरी निष्ठा से उन लोगों ने
अब लड़ना होगा हमें स्वयं से, रखना होगा ध्यान
कहीं हम भी तो बनते नहीं जा रहे अंग्रेजों के जैसे ही?
दुश्मन जब बाहर होता है तो लड़ना कठिन नहीं होता
दुश्मन के जैसे ही लेकिन खुद हम भी यदि बन जायें तो
खुद से ही लड़ पाना आसान नहीं होता
प्रेरणा मुझे देता है अपने पुरखों का संग्राम
गुलामों जैसा करने की खातिर व्यवहार
लड़े थे वे विरोध में अंग्रेजों के शासन से
अहसानमंद हैैं उनके हम, बाहरी शत्रु से मुक्ति दिलाकर
मौका दिया उन्होंने हमको होकर के निर्विघ्न
निहित अपने भीतर मानवी गुणों को विकसित करने का।
आजादी का यह पर्व दिलाता मुझको हरदम ध्यान
कि जिम्मेदारी अपनी भूल कहीं हो जाऊं ना स्वच्छंद
डाल दूं कहीं न भीतर बैठे दुश्मन के आगे हथियार
लड़ाई का है अब यह चरण दूसरा
बदल गये हैैं दुश्मन, बदला लड़ने का मैदान
निरंतर रहना होगा सजग मुझे अब खुद से ही।
रचनाकाल : 9-10 अगस्त 2021
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