ईश्वर और अनुशासन
मैं नहीं चाहता करूं खुशामद ईश्वर की
मुझ पर वह कृपा विशेष करे, मंजूर नहीं
ईश्वर मुझको अच्छा लगता है इसीलिये
वह नियम तोड़ता नहीं कभी अनुशासन कायम रखता है
मैं भी खुद को चाहता रखूं अनुशासित, तोडूं नियम नहीं
आदर्श मुझे अपना ईश्वर बस इसीलिये ही लगता है
फिर कैसे सह सकता मैं कोई भेदभाव
ईश्वर यदि कोई पक्षपात करता है मेरे प्रति तो वह
औरों के भी तो साथ वही कर सकता है!
इसलिये प्रार्थना करता ईश्वर से बस यह
नियमों से हट कर परे मुझे कुछ मत देना
निष्पक्ष बने रहना सदैव सब के प्रति ही
चाहूं मैं बनना सदा तुम्हारे जैसा ही
आदर्श मेरा खण्डित न कभी होने देना।
रचनाकाल : 27 जुलाई 2021
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