मेहनत का फल


अक्सर मैंने महसूस किया है
मेहनत का फल मुझको तरह-तरह से मिलता है
यह सच है विफल हुआ हूं मैं कई बार
परिश्रम करके भी घनघोर
नहीं हासिल कर पाया हूं जो वांछित था
मगर कई साल बाद रह गया दंग यह देख
कि मेहनत फलीभूत इस तरह हुई
मैं सपने में भी सोच नहीं सकता था उसके बारे में।
जब शुरू-शुरू में मैं कविताएं लिखता था
होती थी हसरत मन के भावों को कागज पर ढाल सकूं
अक्सर असफल रहता था लेकिन लिखता ही रहता था
दशकों बाद आज लगता है
वे असफलताएं ही मेरी, बुनियाद सफलताओं की हैैं।
सीखी थी मैंने शॉर्टहैण्ड बचपन में
प्रैक्टिस करता था तब रात-रात भर उसकी
सैकड़ों कापियां भर डाली थीं
लेकिन कुछ भी काम न आया मेरे वह
ऋणी मगर हूं आज उसी प्रैक्टिस का
उसके कारण ही मैं बना सका हूं मेहनत को अपनी आदत।
इसलिये नहीं अब घबराता हूं असफलताओं के डर से
मेहनत करता घनघोर हमेशा रहता हूं निश्चिंत
जानता हूं फल मुझको आज नहीं तो कल, परसों
इस रूप नहीं तो और किसी भी रूप सही
लेकिन हर हालत में उसका मिलना तय है।
रचनाकाल : 6 जून 2021

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