जिंदगी और मौत के बीच
जिंदगी खत्म होना दुखद है बहुत
किंतु मर पाये भी जो नहीं ठीक से
सांस चलती रहे, फिर भी जीवित न हो
त्रासदी कोई इससे भी हो सकती है क्या बड़ी!
जिंदगी के लिये तो सभी लोग करते दुआ
मौत आने की खातिर भी करनी पड़े प्रार्थना
परिजनों के लिये इससे ज्यादा भयानक
कोई और पीड़ा हो सकती है क्या?
जानता है नहीं कोई होता है क्या मरने के बाद में
किंतु रहना किसी का अधर में नहीं देख पाते हैं हम
या तो इस पार कोई रहे या फिर उस पार जाये उतर
बीच मझधार में कोई फंस जाय, बेहद है मर्मांतक।
पीड़ा मरने की होती है सबसे बड़ी
किंतु तिल-तिल कर आये अगर मौत तो
क्रूरता की ये लगती पराकाष्ठा
दो किसी को अगर जिंदगी तो सलीके से दो
क्रूर इतने क्यों बनते हो ईश्वर, मनुष्यों के प्रति?
किंतु मर पाये भी जो नहीं ठीक से
सांस चलती रहे, फिर भी जीवित न हो
त्रासदी कोई इससे भी हो सकती है क्या बड़ी!
जिंदगी के लिये तो सभी लोग करते दुआ
मौत आने की खातिर भी करनी पड़े प्रार्थना
परिजनों के लिये इससे ज्यादा भयानक
कोई और पीड़ा हो सकती है क्या?
जानता है नहीं कोई होता है क्या मरने के बाद में
किंतु रहना किसी का अधर में नहीं देख पाते हैं हम
या तो इस पार कोई रहे या फिर उस पार जाये उतर
बीच मझधार में कोई फंस जाय, बेहद है मर्मांतक।
पीड़ा मरने की होती है सबसे बड़ी
किंतु तिल-तिल कर आये अगर मौत तो
क्रूरता की ये लगती पराकाष्ठा
दो किसी को अगर जिंदगी तो सलीके से दो
क्रूर इतने क्यों बनते हो ईश्वर, मनुष्यों के प्रति?
रचनाकाल : 30 मई 2021
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