मौत सहज स्वाभाविक
मरने से पहले ही
चाहता हूं भोगना मैं
पीड़ा मरणांतक
ताकि अंत काल में
कष्ट न हो मरने का असहनीय।
लेकिन जब होगी नहीं
पीड़ा ही मर्मांतक
कैसे मर पाऊंगा?
तो क्या फिर पीड़ा का
सहन नहीं होना ही मौत है?
नहीं, नहीं, ऐसा हो सकता नहीं
होने ही चाहिये
जन्म-मृत्यु स्वाभाविक
मरणांतक कष्ट कभी
हो ही नहीं सकते हैैं प्राकृतिक।
इसीलिये चाहता हूं
इतना तपाना शरीर को
कि कुछ भी न रह जाय
असहनीय अंत में
प्राण निकल जायें पूरी सहजता से
निकलती है सूख कर
नारियल की गिरी जैसे खोल से
गिरते हैं फल जैैसे
पक कर सहजता से पेड़ से।
रचनाकाल : 29 मई 2021
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