प्रार्थना
शौक नहीं है मुझे कष्ट सहने का
दु:ख पर अपने हिस्से का भोगूं, यह इच्छा है
हे ईश्वर मेरी पीड़ाएं मत हर लेना
दे देना इतनी सहनशक्ति
दु:ख असहनीय सहते सहते
बस पागल कहीं न हो जाऊं।
कल्पनातीत दु:ख भोग रहे जो, लोग इन दिनों
मुझसे सहन नहीं होता
मझधार बीच में लोग डूबते जायें
मैं यह बैठ किनारे हर्गिज देख नहीं सकता
मरने वालों के साथ कोई फायदा नहीं मरने से
मुझको नहीं चाहिये ऐसी दुनियादारी भरी समझदारी
चाहते अगर हो मुझे बचाना मरणांतक पीड़ा से
तो फिर देना ऐसा दु:ख न किसी को
जो मैं खुद भी सह न सकूं
मंजूर नहीं है यदि यह तो, हे ईश्वर
जो भी दु:ख हो सर्वाधिक कठोर
मेरे हिस्से में ही उसको सबसे पहले तुम दे देना।
रचनाकाल : 15 मई 2021
Comments
Post a Comment