मील के पत्थर
सघन बीहड़ जंगलों से गुजर कर
बढ़ता गहन गिरि के शिखर की ओर जब
मील के पत्थर वहां पर दीखते हैैं
आ चुके हैैं लोग मुझसे कई पहले
मैं अकेला ही नहीं हूं
सांत्वना देता मुझे अहसास यह
सम्बल नया मिलता
कि हो विश्वास मन में गहन तो
राह कोई रोक सकती है नहीं बाधा
बहुत से लोग पहले
पहुंच कर गिरि शिखर तक
यह कर चुके साबित
ऋणी हूं पूर्वजों का
राह जो मुझको दिखाते
कठिन मौकों पर
मील के पत्थर नये मैं भी लगाकर
छोड़ जाना चाहता हूं
नयी पीढ़ी के लिये अपनी विरासत
कर्ज जो है पूर्वजों का
इस तरह से ताकि हो जाये अदा।
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