समूह यात्रा


यात्रा की थी अकेले भी
कठिन रेगिस्तानों की
आनंद लेकिन यह अद्भुत है
आ रहा जो चलने में
मानव समूह में।
जानता हूं झेल नहीं पायेंगे
तकलीफें सारे लोग देर तक
छोटा होता जायेगा काफिला
रह जाऊं शायद अकेला ही अंत में
चाहता हूं लेकिन चले हर कोई
अपनी चरम सीमा तक
स्वेच्छा से हर कोई
झेले जितना झेल सके दुख-कष्ट
इसीलिये कठिन बीहड़ रास्तों पर
चलता हूं सबसे आगे
प्रोत्साहन ताकि मिले लोगों को
मुझको भी आनंद अपूर्व मिले
करने में यात्रा समूह की।
रचनाकाल : 20 दिसंबर 2020

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