खुद्दारी
ऐसा नहीं कि मुझे अपने परिश्रम का
फल मिल ही जाता है तुरंत
अब तो बड़ी से बड़ी क्षति को भी
सह लेता हूं मैं धैर्य के साथ
पर अनायास ही जब कुछ
मिल जाता है छप्पर फाड़ कर
हो जाता हूं तब अशांत बेहद
सह नहीं पाता एक पाई भी
बिना मेहनत की कमाई की
इसीलिये होता है हासिल जब
मेहनत की तुलना में ज्यादा फल
करता हूं परिश्रम और घनघोर
बन सकूं ताकि उस फल के योग्य
भारी मुझे लगता है
बोझ अहसानों का
बनना नहीं चाहता हूं
कर्जदार ईश्वर का।
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