राम राज्य


कभी-कभी होता हूं क्रोधित जब
लगता है भस्म कर दूं
दुनिया के सब रावणों को
आ जाय सब जगह राम राज्य।
लेकिन जब देखता हूंं भीतर तो
खुद को ही पाता हूं
लैस हथियारों से रावण के
पता ही नहीं है कहीं राम का
मुखौटे के पीछे सब
एक जैसे लोग हैैं
ऐसे में खिलाफ लड़े कौन किसके
सब जगह तो रावण का राज है?
होता है महसूस तब
जलाना तो कठिन नहीं पुतले को
बेहद कठिन है बनना राम पर
बचने की खातिर इस कठिनाई से
फूंकते हैैं रावण का पुतला हम
सोचते हैैं आ गया है राम राज्य!

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