जीवन गीत


दोनों सिरों से जला ली है
मैंने अपने जीवन की मोमबत्ती
अद्भुत प्रकाश है
पर यह हमेशा नहीं रहेगा
तेजी से खत्म हो रहा समय
अब नहीं कोई अर्थ
मृत्युभय जैसे शब्दों का
जब वरण ही कर लिया।
बेमानी हो गई हैं सारी पीड़ाएँ
शिकवा-शिकायतों का समय नहीं
जितनी जल्दी हो सके
करना होगा काम खत्म
खाक होने के पहले
ले लेने होंगे सारे काम
इस देह से।
मौसम मनोहारी है
आसमान में छाए हैं घने बादल
और गूँज रहा है चिड़ियों का कलरव
पर यह सब देखने-सुनने का समय नहीं
अनसुनी करनी होंगी बच्चों की शिकायतें
अनदेखा करना होगा घर का अभाव
निजी चिंताओं का यह समय नहीं
अर्जुन की तरह साधनी होगी दृष्टि
कि दिखाई दे सिर्फ लक्ष्य।
सुनाई दे रही है मृत्यु की आहट
तेजी से चलाने होंगे हाथ
प्रकाश बुझने के पहले
लिपिबद्ध करना होगा सारा कुछ
बाँटने होंगे अपने
अनुभव नई पीढ़ी को
देनी होगी सीख
कि जीवन कभी खत्म नहीं होता
बेशकीमती है यह, जीना जरूरी है
पर इससे भी जरूरी होती हैं कई चीजें
अनमोल होते हैं कई मूल्य
जिन्हें बचाने खातिर दिया जा सकता है जीवन
कि जीवन की सुंदरता
सिर्फ जीने में नहीं
इसके मूल्य बचाए रखने में है।

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