धरतीपकड़
अच्छा लग रहा है पेज इन दिनों
कोई भी बड़ी घटना-दुर्घटना देख
आँखें चमक उठती हैं
अच्छी लीड, अच्छा एंकर
और एक-दो बाक्स आइटम मिल जाय
और क्या चाहिए एक उपसंपादक को!
सोचता हूँ अगर मर जाएँ मेरे प्रियजन भी
कभी किसी हादसे में
तो ऐसी ही निर्लिप्तता से लगा सकूँगा उसे लीड!
कह सकूँगा वरिष्ठों से
कि आई है एक अच्छी (बड़ी) खबर!
याद आता है अपने बचाव में तब
डाक्टरों का उदाहरण
काँपते हैं जिनके हाथ
प्रियजनों के आपरेशन में
कि जरूरी होती है तटस्थता, इलाज के लिये
पर इसका मतलब संवेदनहीनता तो नहीं!
इसीलिए अब दबा देता हूँ खबरें
जब करती है कोई बेटी अपने बाप की हत्या
बच्चियों पर करते हैं नाबालिग दुराचार
या फेंकती है माँ अपने बच्चों को कुएँ में
..और कच्चा रह जाता हूँ, वरिष्ठों की नजरों में।
पाते हैं मेरे सहयोगी तरक्की-दर-तरक्की
और सनसनी दबाने का
मिलता है मुझे कुछ इस तरह पुरस्कार
कि हर साल इंक्रीमेंट की घोषणा पर
जमा रह जाता हूँ अपनी सीट पर
अंगद के पाँव की तरह।
अब तो साथियों ने मेरा नाम ही
धरतीपकड़ रख दिया है।
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