हमला


अखबार में छपी थी खबर सचित्र
मूक मोर्चा निकाला था बुद्धिजीवियों ने
हमला हुआ था नामी संपादक के घर
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ।
लेखक होने के नाते उसे भी मिला था आमंत्रण
प्रदर्शन में शामिल होने का
विचित्र थे किन्तु उसके तर्क
हमले को भी वह मानता था
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
यह और बात है कि तरीका यह असभ्य था।
इसीलिये वह शामिल नहीं हुआ था मोर्चे में।
..और फिर आया वह दिन भी
जब उसके घर हमला हुआ
पर नहीं आया समर्थन में कोई आगे
क्योंकि नहीं शामिल हुआ था वह किसी के मोर्चे में
समूची मानवता का पक्ष लेने के चक्कर में
वह सबसे अलग हो गया था
किसी को नहीं हुई थी उस पर हमले में आपत्ति
क्योंकि वह उनके गुट का नहीं था
और मानवता नाम का कोई गुट नहीं था।

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