मुझे गलत न समझना वृक्षो


मुझे गलत न समझना वृक्षो
मैंने तुम्हें नहीं लगाने का फैसला किया है
अरे नहीं, यह बात नहीं
कि मुझे तुमसे प्यार नहीं
वरन पाया है मैंने, कल मनुष्यों की सभा में
एक षड्यंत्र का आभास
कि अधिकाधिक लगाने के बारे में तुम्हें
प्रस्ताव पास हो रहा था जहाँ।
नहीं-नहीं,
वे तुम्हारे प्रति प्यार से अभिभूत नहीं थे
तुम्हारे नि:स्वार्थ दान को समझते हुए
उन्होंने लगाने का निर्णय लिया है तुम्हें-
प्रदूषित कचरा लिये बहते नालों किनारे
और जहरीला धुआँ उगलती
अपनी फैक्टरियों के आसपास।
मैं नहीं चाहता
दूसरों की गलतियों का
इतना बड़ा दण्ड देते हुए तुम्हें
पंगु करना, बोन्साई बनाना।
अरे नहीं, निराश मत हो
मैं हूँ न!
तुम चले मत जाना कहीं
यह धरती छोड़कर
मैं आऊँगा लौट कर एक दिन
तुम्हारे ही पास।
तुम्हीं कहो,
छोड़कर तुम्हें
और कहाँ जा सकता हूँ मैं!
पर फिलहाल तो मैं
फैक्टरियों का जहरीला धुआँ पीने में व्यस्त हूँ।

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