विनाश और शुरुआत
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दुनिया को अपने शिकंजे में
जकड़ता जा रहा है कोरोना
भयभीत है मानव जाति
संभावित विनाश से
होना ही था यह एक न एक दिन
मिलना ही था मनुष्यों को
अपनी निरंकुशता का फल
कि ज्यादा दिनों तक
प्रकृति बर्दाश्त नहीं करती
किसी की भी तानाशाही
भर चुका है शायद
युगों से संचित पाप का घड़ा
और अब फूटना ही उसकी नियति है!
स्वागत है तुम्हारा विनाश
कि उसके बाद ही शायद हम कर पायें
सही दिशा में एक नई शुरुआत!
रचनाकाल : 14 मार्च 2020
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