गणतंत्र


जब सिर चढ़ कर बोलता है
राष्ट्र के सेवकों का अहंकार
तो लगने लगता है डर
कि क्या यही लोकतंत्र है?
सेवकों का रूप धर कर
कहीं लौट तो नहीं आये वही
राजे-महाराजे?
शासन अगर अपना है
तो फिर डर क्यों लगता है?
लड़ना ही होगा हमें
सेवक रूपी मालिकों से
कि बदनाम हो गया अगर लोकतंत्र
तो खो देंगे हम मानव जाति का
शासन का सर्वश्रेष्ठ विकल्प
रचनाकाल : 26 जनवरी 2020

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