कविता के लिये


बेहद तेजी से भाग रहा है समय
बहुत दिनों से पीछे छूटती जा रही थी कविता
और समय को पकड़ने के लिये
मैं भागता जा रहा था बदहवास
अब नहीं छोड़ना चाहता लय को
भागना तो अब भी है तेजी से
पर साथ लेकर भागूंगा अब कविता को
चंद मिनट ही सही,
पर निकालूंगा समय उसके लिये
ताकि भागते-भागते हो न जाऊं बंजर
सूख न जाये कहीं भीतर का जीवन रस।
रचनाकाल : 6 मार्च 2020

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