नया अर्थ


जब कहता था मैं सीखूंगा संगीत
हिकारत से तब ऐसे मुझे देखते थे सब बड़े-बुजुर्ग
कि हिम्मत हो पाती थी नहीं सीखने की सरगम।
कविता लिखना जब शुरू किया, तब होता था संकोच
कि कोई पूछे क्या करता हूं, कैसे कहूं कि कविता लिखता हूं
आ जाती थी मुस्कान वक्र तब चेहरे पर, जो पूछा करता
भाव जताता ऐसा जैसे कोई मैं अपराध किया करता हूं।
मुश्किल से मैंने राह बनाई कविता की
बदली लोगों के भीतर की धारणा
कि केवल भाट या कि दरबारी चारण लिखते नहीं कवित्त
बदल सकती है कविता लोगों के जीवन को भी
हो सकती है पूजा की तरह पवित्र, नहीं वह वस्तु मनोरंजन की है।
इच्छा है मन में तीव्र सीखने की फिर से संगीत
चाहता हूं बदले लोगों की इसके बारे में धारणा
अमीरों का मन बहलाने खातिर
यह नहीं बजाने-गाने की है वस्तु सिर्फ कोठों पर
ईश्वर को इसके जरिये पाया जा सकता है।
अनगिनत कलाएं ऐसी हैं जिनको विलास-भोगों से करके दूर
आम जनजीवन तक ले आना है, उनके पीछे का अर्थ बदलना है।
रचनाकाल : 7 अप्रैल 2023

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