कर्मयोग


कब कहां मिले किन कर्मों का फल किसे पता
साधारण जोड़-घटाने जितने सरल तो नहीं नियम सृष्टि के!
फल लग जाते पौधों में कुछ दिन में ही
कुछ पेड़ मगर ले लेते हैैं कई साल
चक्र है सबका अपना अलग-अलग
जीते हैैं बरसों-बरस जीव कुछ
लेकिन कुछ का मिनटों का होता है जीवनकाल
कौन जाने यह दुनिया चलती है किन नियमों पर?
इसलिये नहीं बनता हूं न्यायाधीश
कर्म करता हूं अपने हिस्से का
ईश्वर को है बेहतर मुझसे मालूम
कि क्या है उचित और क्या अनुचित
उसका जो भी हो फैसला
उसे सिर-माथे पर मैं रखता हूं।
रचनाकाल : 30 अगस्त 2022

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