फलती-फूलती दीमकें और खोखली होती सरकारी योजनाएं
बढ़ती बीमारियों और बीमा कंपनियों के महंगे होते प्रीमियमों को देखते हुए सरकार द्वारा लागू की गई आयुष्मान भारत योजना प्रशंसनीय मानी जा रही थी. हालांकि निजी अस्पताल इसमें बहुत रुचि नहीं दिखाते हैं क्योंकि सरकारी योजना होने से क्लेम ऑनलाइन मंजूर करवाने की प्रक्रिया जटिल होती है, लेकिन अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल ने जिस तरह आयुष्मान कार्ड से पैसे ऐंठने के लिए सात लोगों की जबरन एंजियोप्लास्टी कर दी और उसमें दो लोगों की जान भी चली गई, उससे इस योजना के प्रभावी होने को लेकर गहरी चिंता पैदा हो गई है. यहां तक कि अस्पताल द्वारा आयोजित हेल्थ कैम्प में पहुंचे मरीजों के साथ उनके परिजनों के नहीं होने और उनकी सहमति नहीं मिलने पर भी आनन-फानन में आपरेशन कर दिया गया और अस्पताल को क्लेम के पैसे भी तत्काल मिल गए! मरीजों की मौत के बाद परिजनों के हंगामे से मामला उजागर हुआ और अब पता चल रहा है कि उस अस्पताल में छह महीनों में साढ़े तीन सौ से अधिक लोगों की एंजियोग्राफी की गई है! वैसे तो मामले की विस्तृत जांच होने और उसकी रिपोर्ट आने पर ही असलियत पता चलेगी, लेकिन यह शंका तो पैदा होती ही है कि किसी निजी अस्पताल द